राहुल कितनी गलतफहमी है,
मुझे इस बात पर हैरत है ।
उन्हें लगा कि वह चोरी के खुलासे करेंगे और लोग इसपर अचरज करेंगे । वह फ़र्ज़ी वोटिंग,वोट कटिंग के सबूत देंगे, तो लोगों की आंख खुलेगी ।
वह सबूत रखेंगे,तो मीडिया में बेचैनी आएगी । राहुल भूल रहे कि वह यह सब कहाँ कर रहे हैं और किनके बीच?
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राहुल के जिन लोगों पर आरोप हैं, जिनके संगठित अपराध पर वह खुलासे कर रहे हैं । जिनकी हेराफेरी के वह सबूत दे रहे हैं । उनके ही फॉलोवर खुद जानते हैं कि यह लोग कोई शरीफ लोग नही हैं । वह इनकी हर कार गुज़ारियों को जानते हैं ।
वह रँगा बिल्ला को बहुत अच्छे से समझते हैं और इसी लिए उनके पीछे खड़े हैं । वह इनकी करतूतों को और गिरने के स्तर को हम आपसे अधिक जानते हैं । वह जानते हैं यह सब उनके बाएं हाथ के खेल हैं । राहुल के पक्ष के लोगों को भले शक हो मगर रँगा बिल्ला के पक्ष के लोग अच्छी तरह इनके हाथ की सफाई को जानते हैं।
राहुल तो मांडवा के मास्टर दीनानाथ की तरह खड़े हैं मगर वह भीड़,जिन्हें जगा रहे हैं । वह सोई हुई है ।
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अरे भीड़ छोड़िए, वह पत्रकार, जो कम से कम थोड़े तो अनबायस कहलाएंगे,वह राहुल के खुलासों पर नही बोल रहे थे, बल्कि उनके इंग्लिश में बोलने पर सवाल कर रहे थे । यार तुम्हे तो समझ आ रहा है कि राहुल कितने गम्भीर विषय को उठा रहे हैं,तुम ही हिंदी या अंग्रेज़ी न करो,तुम सब्जेक्ट पर बात करो ।
ब्राज़ीलियन मॉडल हमारे यहां की वोटरलिस्ट में है। उसकी पहचान पर वोट पड़े हैं मगर सीसीटीवी फुटेज मिलेगी नही, क्योंकि चुनाव आयोग नियम बदल चुका है । आपको मामले की गम्भीरता का ज़रा भी अंदाज़ा है कि आपने क्या गवाया है और क्या गवाने जा रहे हैं ।
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आपको पता है कि डेमोक्रेसी किसे कहते हैं । जिसमें जनता अपनी हुक़ूमत खुद चुने,कौन सी जनता?????????
घर में लेटी जनता नही,खेत में काम करती जनता नही । फैक्ट्री या कम्पनी में सर खपाती जनता नही । बिज़नेस या फिर कॉल सेंटर में जूझी हुई जनता नही । जानते हैं वह जनता कौन होती है, जो डेमोक्रेसी को गढ़ती है ।
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वह जनता होती है "वोटरलिस्ट" में जिनका नाम हो । जो वोट कर सके ।
यानि सारा लोकतंत्र ही इस वोटरलिस्ट पर टिका है और वही सन्दिग्ध हो रही है । आपको यह अधिकार मिला था,जिसे चाहो उसे चुनो । यह अधिकार अगर दीमक चाट गईं, तो फिर सरों की गिनती में तो रहेंगे मगर कोई अधिकार नही रखेंगे ।
राहुल ने बड़ी मेहनत से अपने रिसोर्सेज इस्तेमाल करके,अपने लोगों को लगाकर,यह खुलासे किए हैं । इसकी गम्भीरता को समझिये । चुनाव आयोग हो या कोई भी संस्था,उसे पहले इसकी जांच करनी चाहिए । यह तमाशा नही है, या तो जांच करके राहुल को ग़लत साबित कीजिये या फिर जगह छोड़िए ।
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आज जो राहुल को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं । वह अपने भविष्य को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं । जो इसपर गम्भीर नही हैं, वह अपने ही लिए गम्भीर नही हैं । जिन्हें राहुल पर हंसी आ रही है, वास्तव में वह अपने ही ऊपर हंस रहे हैं ।
देश बनने के बाद पहला नेता प्रतिपक्ष ऐसा मिला है, जो डेमोक्रेसी और इंसानों की बराबरी को लेकर इतना सजग है । वह देश का पहला नेता प्रतिपक्ष है, जो रोज़ जनता को जगा रहा है । जो भयँकर दमन सहकर भी जूझ रहा है । उसे नज़रअंदाज़ करके आप अपना ही नुकसान कर रहे हैं ।
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राहुल की बात उन युवाओं तक ज़रूर सीधे चली गई है, जो नए हैं । जो कट्टर और कुंठित नही हैं । वह इंग्लिश हिंदी में नही फंसते,बल्कि सच्ची बात पर गौर करते हैं ।
वह पढ़े लिखे हैं, पढ़े लिखे इंसान की बात की गम्भीरता समझते हैं । हमें इत्मीनान है कि कम से कम युवाओं में राहुल का संदेश सीधा जाकर असर कर रहा है ।
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अधेड़ों,अधपके बालों वाले कथित युवाओं और थोड़े उम्र दराज़ लोगों को समझना होगा, गम्भीर होना होगा ।
अगर आपके हाथ से वोट देने की ताक़त या वोट की ताक़त का असर खत्म हो गया,तो कीड़े मकोड़े ही बनकर रह जाइयेगा, कोई भी नही सुनेगा,जो सुनवाई है, वह वोट की ताक़त की वजह से है ।
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राहुल की बात को हवा में मत उड़ाइये, वरना बहुत पछतावा होगा । यह बात सबके लिए है । राहुल पर बात कीजिये, उनके खुलासों पर बहस कीजिये, सवाल कीजिये,जवाब दीजिये मगर नज़रअंदाज़ मत कीजिये ।
सजग रहिये..
बीमारी डायग्नोस हो गई है और जनता ईलाज भी खोज लेगी क्योंकि सबसे ऊपर जनता ही है । वो जो भी रास्ता तय करे,
वह ही सबका रास्ता होगा ।