मल्हार का पूर्व नाम मल्लापतन मलार और मल्लाह था जो कि अब मल्हार हो गया है। यहां मल्लाहों द्वारा मछली मारने का व्यापार क्षेत्र रहा है। मल्हार की आधी आबादी केंवट समाज की है जो खेती बारी में पूरा ध्यान देते हैं जिसमें धान के अलावा विभिन्न फसलें तथा साग-भाजी की खेती करते हैं। इसीलिए यहां के बसाहट में एक स्थान को केंवट पारा का नाम दिया गया है।
छत्तीसगढ में कुल छत्तीस गढ़ों का जिक्र होता है जिसमें 18 गढ़ रायपुर तथा 18 गढ़ रतनपुर क्षेत्र में आता है इन्हीं में से एक मल्हारगढ़ लीलागर
अरपा और शिवनाथ नदियों से घिरा है। मल्हार का ऐतिहासिक धार्मिक और पुरातात्विक महत्व तो है ही साथ इस गांव की अन्य विशेषताएं भी है जिसमें मल्हार के मालगुजार साव परिवार थे, जो 84 गावों में मालगुजारी करते थे। इनका बाड़ा
अभी भी सुरक्षित है। मल्हार नगरी न्यायधानी बिलासपुर से 30 किमी दूरी पर है। यह बिलासपुर जिले का सबसे बड़ा ग्राम पंचायत था, जो कि वर्ष 2008 में नगर पंचायत बन गया है। मल्हार का पूर्व नाम मल्लापतन मलार और मल्लाह था जो कि अब मल्हार हो गया है।
यहां मल्लाहों द्वारा मछली मारने का व्यापार क्षेत्र रहा है। मल्हार की आधी आबादी केंवट समाज की है जो खेती-बारी में पूरा ध्यान देते हैं जिसमें धान के अलावा विभिन्न फसलें तथा साग-भाजी की खेती करते हैं। इसीलिए यहां के बसाहट में एक स्थान को केवट पारा का नाम दिया गया है।
मल्हार मस्तुरी जनपद पंचायत का एकमात्र नगर पंचायत है। यहां का डुलेना और कुकरीकांदा काफी प्रसिद्ध है। यहां का मल्हार मेला और मल्हार महोत्सव 15 दिनों तक आयोजित होते हैं।