ट्विटर से लेकर इंस्टाग्राम/फेसबुक तक वायरल है इफ्तिखार भट्ट की यह कहानी।
साल 2001 में भारतीय सेना (Indian Army) के एक ऑपरेशन में एक कश्मीरी युवक मारा गया था। इसके बाद उसके भाई ने सेना से बदला लेने की ठानी। उसने सेना से बदला लेने के लिए आतंकी कमांडरों से मुलाकात की।
आतंकी कमांडरों के दिल में जगह बनाने के बाद इफ्तिखार हिजबुल के एरिया कमांडरों तेरारा और सबजार के साथ उठने बैठने लगा था। दोनों ने इफ्तिखार को आतंकी ट्रेनिंग दिलाई और वापस घाटी ले आए।
मार्च 2004 दिन जब गश्त करते हुए उन्हें फौजियों की टुकड़ी पर हमला करना था। हमले के पहले तीनों को बाकी साथियों से मिलना था।
तोरारा और सबजार कश्मीर घाटी में जंगलों के बीच छिपे हुए थे। इफ्तिखार कहवा बना रहा था। तभी अव्हांक सबजार को इफ्तिखार को लेकर डाउट हुआ।
उसके दिमाग में ख्याल आया कि आखिर यह इफ्तिखार है कौन? इसले माँ-बाप-भाई किसी का कोई पता नहीं। बस बदले की कहानी सुनाकर ग्रुप में जॉइन हो गया।
तभी दाढ़ी बढाये हुआ इफ्तिखार कहवा लेकर आया। इफ्तिखार ने तोरारा और सबजार को कहवा दिया और ख़ुद भी पीने लगे।
तभी दिमागी उथल-पुथल से परेशान सबजार ने पूछा -इफ्तिखार तुम हो कौन?
इतना सुनते ही इफ्तिखार ने कंधे पर लटकी राइफल जमीन पर फेंककर कहा- "भाईजान भरोसा नहीं तो गोली मार दें, लेकिन ये सवाल ना पूछे।"
आतंकी सबजार कुछ कहने के लिए तोरार की तरफ मुड़ा तब तक पीछे से एक पिस्टल से गोली चली और प्वाइंट ब्लैंक रेंज से पहले सबजार फिर तोरा ढेर हो गया।
इधर इफ्तिखार अपना कहवा पी रहे थे। क्योंकि तब तक भारतीय सेना की पैरा स्पेशल फोर्स की एक टुकड़ी वहां पहुंच गई और इफ्तिखार अब मेजर मोहित शर्मा हो गए थे.
इफ्तिखार भट्ट कोई और नहीं सेना की 1-पैरा स्पेशल फोर्स के ऑफिसर मेजर मोहित शर्मा थे जिन्हें कोवर्ट ऑपरेशन में महारत हासिल थी।
मोहित शर्मा ने भेष बदलकर ऑपरेशन करने की फिल्मी कहानी को बहादुरी से सच साबित कर दिया। अपनी शहादत से पहले मेजर शर्मा ने पाकिस्तानी इंटेलिजेंस और भारत की धरती में छिपे आतंकियों के हमदर्दों का पता लगाने के लिए ऐसी कहानी रची थी कि आतंकवादियों के आकाओं को भनक तक नहीं लगी।
उनकी रची पटकथा के परिणामस्वरूप आतंकियों के टॉप कमांडर्स/दहशतगर्द ढेर हो चुके थ। मेजर मोहित शर्मा के बारे में यह कहानी एक इंटरव्यू में उनके भाई मधुर ने बताई थी.
मेजर मोहित का जन्म 13 जनवरी 1978 को हुआ था। मेजर साहब 21 मार्च 2009 को मेजर मोहित शर्मा कुपवाड़ा जिले में आतंकियों के साथ लोहा लेते वक्त शहीद हो गए थे.
उस समय वो अपनी टीम का नेतृत्व कर रहे थे. शरीर पर कई गोलियां लगी होने के बावजूद 4 आतंकियों को मारकर उन्होंने अपने 2 साथियों की जान बचाई थी। उनका बलिदान देश कभी नहीं भुला सकता।