हिंडनबर्ग ने दुकान क्यों बंद की?

हिंडनबर्ग ने दुकान क्यों बंद की? 

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने दो साल पहले अदाणी ग्रुप को हिला कर रख दिया था. उनके शेयरों की क़ीमत यानी मार्केट कैपिटलाइज़ेशन आज भी दो साल के मुक़ाबले 6 लाख करोड़ रुपये कम है. गौतम अदाणी दुनिया में तब तीसरे नंबर के धनी थे, अब 19 नंबर पर !

हिंडनबर्ग की स्थापना नैथन एंडरसन ने 2017 में की थी. सिर्फ़ 11 लोगों की टीम थी. बिज़नेस मॉडल था गड़बड़ी की आशंका वाली कंपनियों की रिसर्च करना. रिपोर्ट जारी करने से पहले उस कंपनी के शेयरों को शॉर्ट सेलिंग करना. शॉर्ट सेलिंग से पैसे बनाना. अदाणी के शेयरों में भी ऐसे ही पैसे बनाए

हम समझते आए हैं कि शेयर बाज़ार में पैसे बनाने का एक ही तरीक़ा है कि शेयर हमने आज के दाम पर ख़रीदें और तीन महीने बाद दाम बढ़े तो बेच दिए. आपने किसी कंपनी के शेयर मान लीजिए ₹100 में ख़रीदें और दाम ₹150 होने पर बेच दिए. आपको ₹50 फ़ायदा हुआ. इसे लॉंग पोजिशन कहते हैं.

शॉर्ट पोजिशन में आप आज के भाव पर किसी कंपनी के शेयर बेच देते हैं. आज भाव ₹100 है . शेयर आपके पास नहीं है. आप शेयर किसी से उधार लेते हैं. उधारी महीने भर बाद लौटाने का सौदा करते हैं. महीने भर बाद भाव ₹80 हो गया. तब आपने बाज़ार से शेयर ख़रीदे
 और उधारी लौटा दी. हर शेयर पर ₹20 का मुनाफ़ा.

कंपनी बंद होने को लोग इसे डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से भी जोड़ कर देख रहे हैं. लेकिन एंडरसन ने दावा किया है कि उन्हें कोई धमकी नहीं मिली है, वो कई बड़ी कंपनियों को हिला चुके हैं. 100 से ज़्यादा लोगों पर उनकी रिपोर्ट के आधार पर मुक़दमे चल रहे हैं.


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