Dharm Gyan: श्री तिरुपति बालाजी महाराज जी का रहस्य !


श्री तिरुपति बालाजी महाराज जी का रहस्य 

भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी का मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर में विराजमान भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी जी का विग्रह है, जिसे भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है।

तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं. 

इस मंदिर की कहानी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि, एक बार भगवान विष्णु पत्नी लक्ष्मीजी के साथ क्षीर सागर में अपने शेषशैय्या पर विश्राम कर रहे थे. तभी वहां भृगु ऋषि आए और उनके छाती पर एक लात मारी. लेकिन भगवान विष्णु क्रोधित नहीं हुए बल्कि उन्होंने भृगु ऋषि के पांव पकड़ लिए और पूछा, ऋषिवर! आपके पैरों में चोट तो नहीं लगी. लेकिन लक्ष्मी जी को भृगु ऋषि का ऐसा व्यवहार पसंद नहीं आया और वो क्रोधित होकर बैकुंठ छोड़कर चली गई और पृथ्वी पर माता लक्ष्मी ने पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्म लिया.

तब माता लक्ष्मी से मिलने भगवान विष्णु अपना रूप बदलकर वेकेंटेश्वर स्वामी के रूप में मां लक्ष्मी यानी पद्मावती से मिलने पहुंचे और उनके समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा. वेकेंटेश्वर स्वामी के विवाह प्रस्ताव को देवी पद्मावती ने स्वीकार कर लिया और इस तरह के एक बार फिर से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की शादी हो गई. इसलिए ऐसा नियम है कि तिरुपति बालाजी के दर्शन के बाद देवी पद्मावती के दर्शन किए जाते हैं. मान्यता है कि जब तक आप इस मंदिर के दर्शन नहीं करेंगे, आपकी तिरुमाला यात्रा पूरी नहीं होगी.

इस मंदिर के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. आइये जानते हैं तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में.

1 विग्रह पर लगे बाल असली हैं :-
भगवान वेंकटेश्‍वर स्‍वामी के विग्रह पर लगे बाल कभी नहीं उलझते वह हमेशा मुलायम रहते हैं ऐसा क्यों होता है इसका जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है।

2 हजारों साल से बिना तेल का जलता दिया :-
मंदिर के गर्भगृह में एक दीपक जलता है आपको जानकर हैरानी होगी यह दीपक हजारों सालों से ऐसे ही जल रहा है वह भी बिना तेल के। यह बात काफी ज्यादा हैरान करने वाली है ऐसा क्यों है इसका जवाब आज तक किसी के पास नहीं है

3 मंदिर के विग्रह को पसीना आता है :-
मंदिर का गर्भगृह को ठंडा रखा जाता है पर फिर भी विग्रह का तापमान 110 फॉरेनहाइट रहता है जो कि काफी रहस्यमई बात है.

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